नेपाल भूकम्प
एक सुबह थी नयी सी,
शुरूआत तो सही थी,
कोई निकला था रोज़ी के लिए,
तो कहीं रोजी निकली थी स्कूल के लिए।
घर से निकलते हुए,
शायद किसी माँ ने भी कहा होगा बच्चे से,
बेटा ख्याल रखना अच्छे से।
फिर न जाने क्यों माँ गुस्साई।
धरती हिली,
आशियाँ उजड़े,
सपने बिखरे,
अपने बिछुरे।
आँखों में आँशु थे,
दिल में डर था,
अपनों से मिलने की आस थी,
पूरी दुनिया उदास थी।
माँ एक बात बतला गयी,
उसके लिए न कोई राजा है न फ़क़ीर,
न राम है न कबीर,
चलो एक बात तो शायद अच्छी हुई,
हमें जीवन का महत्त्व समझा गयी,
इंसानो से प्यार करना सीखा गयी।